रूदन चीत्कार और
चारों तरफ बाढ़ बाढ़
आखों में तूफान लिए गांव रोता
शहर को गए खबर
हुई देर बहुत मगर
होकर बेफिकर अभी भी सो रहा है शहर
टकराने लगी घर से लहर
फिर भी इंतजार है आंखों में गांव के
आती होगी फौज अब शहर से
रात भर निहारते
हार गया इंतजार
भोर हुआ सूरज ने दिखलाया
मरी मछलियां, मेरे आदमी, मरे मवेशी
अगले रोज छपी खबर
पानी में किसी ने चुपके से
घोल दिया था जहर
मंगलवार, 19 अगस्त 2008
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