रविवार, 17 अगस्त 2008

दीप टिमटिमाते रहो

टिमटिमाते रहो दीप
इस विराट अंधसागर में
कहीं प्रकाश अस्तित्वहीन न हो जाये

एकाकी
पवन के थपेडो़ के बीच
लहराना
फहराना ही तो
तुम्हारा असली जीवन संघर्ष है

टिमटिमाते रहो
ओ प्रकाश के असली प्रतिनिधि
टिमटिमाते रहो
उजाला कायम रहेगा
तुम्हारे टिमटिमाने तक .

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