भूख से जो,
तिलमिला आगे गये
गोलियों से पुलिस की दागे गये,
दोस्तों यह सल्तनत
किस काम की
हक अगर मांगे तो हम
बांधे गये,
आंकड़ों में
·ितने माहिर लोग हैं,
मर गये सौ
किंतु दस आंके गये,
वक्त की यह भी बुलंदी
देख ली,
अंजुरियों में
जलधि जब नापे गये,
रविवार, 17 अगस्त 2008
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